Mangal Bhavan Amangal Hari PDF

Mangal Bhavan Amangal Hari PDF

Mangal Bhavan Amangal Hari PDF – हमारे देश भारत वर्ष में हर घर में एक चौपाई मंगल भवन अमंगल हारी हमेशा सुनाई पड़ती है चाहे वह राम चरित्र मानस का पाठ हो या कोई भी विशेष भगवान की पूजा हो यह चौपाई हम हमेशा सुनते हैं। लेकिन हम में से बहुत सारे लोगों को इस चौपाई का अर्थ मालूम नहीं है आज के इस लेख में हम इस चौपाई का अर्थ जानेंगे पर जानेंगे कि इस चौपाई का पाठ करने से हमें क्या लाभ होता है। हिंदू धर्म में या चौपाई काफी शुद्ध और चर्चित मानी जाती है और इसका पाठ हम हमेशा करते हैं। यह चौपाई भगवान श्री तुलसी जी के द्वारा रची हुई श्री राम चरित्र मानस से ली गई है।

इस पवित्र और चर्चित चौपाई को बालकांड के दोहा नंबर 111 से ली गई है। दोहा नंबर 111 की यह चौथी चौपाई है। इस वक्त भगवान श्री राम बाल अवस्था में है और वह इधर-उधर घूम रहे हैं। दोस्तों यदि आप भी इस चौपाई का अर्थ समझना चाहते हैं और ज्यादा चाहते हैं कि इस चौपाई को करने के क्या फायदे हैं तो आज का हमारा यह लेख आपके लिए ही है। आज के इस लेख के माध्यम से हम Mangal Bhavan Amangal Hari PDF का अर्थ जानेंगे और जानेंगे कि इसे पढ़ने के क्या क्या फायदे होते हैं। दोस्तों बने रहिए अंत तक हमारे इस लेख के साथ।

Mangal Bhavan Amangal Hari PDF

दोस्तों ‘मंगल भवन अमंगल हारी ‘इस चौपाई को रामायण के बालकांड के दोहा नंबर 111 की चौथी चौपाई से ली गई है। इस वक्त भगवान श्रीराम बाल्यावस्था में है और वे राजा दशरथ के पुत्र है और अपनी नन्हीं अवस्था में भगवान श्री राम इधर-उधर घूम रहे हैं।

Book NameMangal Bhavan Amangal Hari PDF
Authorरामचरितमानस
    Language Hindi
Part Three
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इस चौपाई का अर्थ है कि भगवान श्री राम शुभ और अच्छे कामों के भवन के समान है और अमंगल यानी कि अशुभ यानी कि अपने भक्तों के दुखों को हर लेते हैं। इस चौपाई के इस वाक्य का अर्थ है कि भगवान श्री राम अपने भक्तों का मंगल करते हैं और अपने भक्तों के अमंगल यानी कि अशुभ और दुख को हर लेते हैं और अपने भक्तों का निवारण करते हैं। इस चौपाई के पूरे वाक्य का अर्थ यह है कि भगवान श्री राम जो कि राजा दशरथ के पुत्र है वह अपने भक्तों का मंगल करने वाले हैं और अपने भक्तों के जीवन से अमंगल यानी कि अशुभ और दुखों को हरने वाले हैं।

इस चौपाई को बार-बार यानी कि जब भी हमारे घरों में पूजा-पाठ या हम किसी भगवान विशेष की आराधना करते हैं तो हम इस चौपाई को बोलते हैं क्योंकि इस चौपाई को बोलने से हमारे घर में मंगल कामों और मंगल चीजों का प्रवेश होता है और हमारे घर से और मंगल यानी कि अशुभ चीजों का निवारण होता है भगवान श्री राम हमें अमंगल चीजों से निवारण करते है। इस चौपाई के आगे के वाक्य में भगवान श्री हनुमान जी की भी स्थिति हमें प्राप्त होती है जहां बताई गई है कि भगवान श्री हनुमान प्रभु श्रीराम के ही अभिन्न अंग है और रावण जैसे दुष्ट को समाप्त करने में भगवान श्री हनुमान ने प्रभु श्री राम का साथ दिया। भगवान श्री हनुमान के हृदय में राम बसते हैं और ऐसा कहा जाता है कि हनुमान जी के बिना प्रभु श्री राम का कोई काम नहीं होता। भगवान श्रीराम का कोई भी काम हनुमान जी के सुपुर्द किया जाता है ।भगवान श्री हनुमान प्रभु श्री राम के अभिन्न अंग है। प्रभु श्रीराम के कहने पर हनुमान जी ने समुंद्र को पारकर लंका पहुंचा था और वहां उन्होंने अपनी पूछ से ही लंका में आग लगा दिया था।

Conclusion

आज के इस लेख के माध्यम से हम राम चरित्र मानस की एक बहुत ही चर्चित चौपाई मंगल भवन अमंगल हारी जो हम सब ने कभी न कभी जरूर सुना होगा इसके बारे में जाना। यदि आप राम चरित्र मानस की चौपाई को पूरा पढ़ना चाहते हैं तो हमारे द्वारा दी गई लिंक के जरिए ऑफिस के पीडीएफ को डाउनलोड करके इसे पूरा पढ़ सकेंगे।

हमें पूरी उम्मीद है कि आपको हमारा ही है लेख जरूर पसंद आया होगा यदि आपको हमारा है यह लेख पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर साझा करें एवं कमेंट में अपना विचार अवश्य दें।

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