Atharva Ved Jadu Tona PDF Download

Atharva Veda Jadu Tona PDF Download

Atharva Ved Jadu Tona PDF Download – भारतीय सनातन संस्कृति में मुख्य रूप से चार वेद है जिनमें हमें संसार के उत्पत्ति की ऐतिहासिक घटनाओं से लेकर संसार का भविष्य तक की जानकारी प्राप्त होती है। अथर्व वेदा को भारतीय सनातन संस्कृति का अंतिम वेद के रूप में जाना जाता है। अथर्व वेदा के रचयिता महर्षि अथर्व है जिन्होंने इस वेद की रचना की थी।

दोस्तों बहुत सारे लोगों के द्वारा माना जाता है कि अथर्व वेदा में काला जादू और टोना टोटका है और इन काला जादू और टोना टोटका का प्रयोग करके लोग बहुत सारे अलग-अलग काम भी करते हैं। यदि आप तो भी जानना चाहते हैं कि अथर्व वेदा में वह कौन से काला जादू और टोना टोटका है जिसे लोगों के द्वारा इस्तेमाल किया जाता है.

तो आज का यह लेख आपके लिए ही है। आज के इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि क्या सच में अथर्व वेदा में काला जादू और टोना टोटका के बारे में बताया गया है और वह काला जादू कौन सा है। तो बने रहिए दोस्तों अंत तक हमारे इस लेख Atharva veda Jadu Tona PDF के साथ।

Book NameAtharva Veda
Authorऋषि अथर्व 
   Country  India 
 Shukt  730
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Atharva Ved Jadu Tona PDF Download

भारतीय सनातन संस्कृति के चार प्रमुख वेदों में से अथर्व वेदा को चौथी स्थान प्राप्त है। इसकी भाषा और संरक्षण के अनुसार इसे वेदों की दृष्टि में सबसे अंतिम वेद माना जाता। बहुत सारे ऋषि यों ने कई सालों तक इसे वेद की उपाधि ही नहीं दिया था बहुत लंबे समय बाद इस वेदर को वेद की उपाधि दी गई। अथर्ववेद में कुल 20 कांड 730 शुक्र और लगभग 6000 मंत्र भरे पड़े हैं।

अथर्ववेद का मुख्य विषय जीव विज्ञान आयुर्विज्ञान आयुर्वेद काला जादू टोना टोटका इत्यादि है। अथर्ववेद के एक सूत्र में मानव शरीर की रचना का वर्णन और मानव शरीर के यंत्रों का विस्तार रूप में वर्णन किया गया है जिसमें मानव शरीर को दुनिया का सबसे उत्तम दर्जा का यंत्र बताया गया है। आयुर्वेद अपनी उत्पत्ति अथर्व वेदा से मानता है लेकिन शास्त्रों के अनुसार अथर्व वेदा के लिखे जाने से पहले हैं आयुर्वेद का आगमन हो चुका था।

Atharva Veda Jadu Tona PDF

अथर्व वेदा के रचयिता महर्षि अथर्व जी को माना जाता है जो कि पिछले जन्म में एक असुर थे। अथर्ववेद की भाषा और संरचना के अनुसार माना जाता है कि इस वेद की रचना सबसे बाद में हुई है। मासी अथर्व को इस वेद का ज्ञान भगवान ब्रह्मा जी के मुख से प्राप्त हुआ था जिसे मार्सी पत्थरों ने अपने शब्दों में अथर्व वेदा को लिखा था।

कहा जाता है कि अथर्व वेदा में बहुत सारे जादू टोना और काला जादू भरा पड़ा है। यह जादू से संबंधित है तंत्र मंत्र भूत पिसाच को अपने वश में करने की भारी शक्तियां और भारी मंत्र जो इस अथर्व वेदा में भरे पड़े हैं। इसमें भूत प्रेत जादू टोना के मंत्र भी भरे पड़े हैं।

ऋग्वेद के उच्च कोटि के देवताओं को अथर्व वेदा में गौण स्थान प्राप्त हुआ है। धर्म की दृष्टि से भी रिग्रेट औरत आवेदन की भारतीय संस्कृति में काफी महत्व है इन दोनों वेदों के माध्यम से में भारतीय संस्कृति की बहुत सारी ज्ञान का प्राप्त होता है। अथर्व वेदा में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि कालांतर में आर्यों ने काला जादू और भूत प्रेत और जादू टोना में विश्वास करने लगे थे और उस समय आर्यों ने इसे बहुत ही मान दिया था।

अथर्ववेद के एक अध्याय में बताया गया है कि जो व्यक्ति धन बल और अपने जीवन में कामयाबी हासिल करना चाहता है उसे प्रण के वृक्ष के बने हुए मनी को दही में भिगोकर देवदासी के दिन 3 दिन उसे अपने पास रखें और चौथे दिन उस्मानी को दही और शहद से निकालकर मंत्रों का पाठ कर उसे अपने शरीर में बांध ले और दही और शहद को खा ले इससे उस व्यक्ति को धनबल और जीवन में कामयाबी हासिल होगा।

इसी सूक्त में महर्षि लिखते हैं कि यदि कोई राजा का राजपाट उससे छिन जाए तो कांपील नामक पेड़ की टहनियों से आग जलाकर और चावल पका कर खा ले तो इससे उसे उसके राजपाट की फिर से प्राप्ति हो जाएगी। अथर्व वेदा में इसी तरह कुछ और काला जादू और जादू टोना मंत्रों के बारे में बताया गया है।

Conclusion

आज के इस लेख के माध्यम से हमने आपको अथर्व वेदा में काला जादू और जादू टोना के बारे में बताया और बताया कि अथर्व वेदा में कौन से काला जादू और जादू टोना के बारे में बताया गया है। यदि आप भी इस वेल को पढ़ने में रुचि रखते हैं और इस भेद को पूरा पढ़ना चाहते हैं तो हमारे द्वारा दी गई लिंक के जरिए आप इसकी पीडीएफ डाउनलोड करके इसे पूरा पढ़ सकेंगे।

हमें पूरी उम्मीद है कि आपको हमारा यह लेख जरूर पसंद आया होगा यदि आपको हमारा यह लेख पसंद आया हो तो उसे अपने दोस्तों के साथ जरूर साझा करें एवं कमेंट में अपना विचार देना ना भूलें।

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