(ब्रह्म वैवर्त पुराण) Brahma Vaivarta Puran PDF Download in Hindi

Brahma Vaivarta Puran PDF Download

Brahma Vaivarta Puran PDF Download – हिंदू धर्म में कुल 18 महत्वपूर्ण पुरान है जिनमें सृष्टि के प्राचीन इतिहास से लेकर सृष्टि की भविष्य तक का वर्णन किया गया है। ब्रह्मवैवर्त पुराण इन्हीं 18 महत्वपूर्ण पुराणों में से एक है। ब्रह्मवैवर्त पुराण सबसे प्रथम पुराण है।ब्रह्मवैवर्त पुराण एक वैष्णव पुराण है जिसे महर्षि वेदव्यास जी के द्वारा संस्कृत भाषा में लिखा गया था। माना जाता है कि महर्षि वेदव्यास जी ने सबसे पहले ब्रह्म वैवर्त पुराण की ही रचना की थी। ब्रह्म वैवर्त पुराण को आदि पुराण के नाम से भी जाना जाता है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में कुल 218 अध्याय हैं वहीं इसमें कुल श्लोकों की संख्या की बात करें तो अलग-अलग प्रमाणों से श्लोकों की संख्या 10000 से 12000 के बीच प्राप्त होती है।

ब्रह्मवैवर्त पुराण में श्री कृष्ण जी को यस माना गया है और इन्हीं सृष्टि का कारण बताया गया है। ब्रह्मपुत्र का अर्थ है भगवान ब्रह्मा जी का विवर्त अर्थात ब्रह्म की रूपांतर राशि। भगवान ब्रह्म की रूपांतर राशि प्राकृतिक है। प्रकृति के विभिन्न परिणामों का विवरण इस ब्रह्मवैवर्त पुराण में विस्तार से दिया गया है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में प्रकृति के कारण सृष्टि में विभिन्न परिणाम होते हैं और इन सब कथाओं को ब्रह्मवैवर्त पुराण में विस्तृत रूप में व्याख्यान किया गया है। दोस्तों यदि आप ब्रह्मवैवर्त पुराण के बारे में और पूरी विस्तार से जानना चाहते हैं तो आज का हमारा यह लेख आपके बहुत काम आएगा। आज के इस लेख में हम आपको ब्रह्मा व्यवस्था के बारे में और विस्तार से बताएंगे और हम आपको Brahma Vaivarta Puran PDF Download करने का लिंक भी देंगे.

Book Name                Brahma Vaivarta Puran 
Author        ऋषि वेदव्यास
Chapter        218
Shloks              लगभग 10000 श्लोक 
Downloads             6537 downloads 

Brahma Vaivarta Purana PDF in Hindi

ब्रह्म वैवर्त पुराण के 218 अध्यायों को चार खंडों में विभक्त किया गया है जो इस प्रकार है ब्रह्म खंड प्रकृति खंड गणपति खंड और श्री कृष्ण जन्म खंड। ब्रह्मवैवर्त पुराण के 10000 श्लोकों में श्री कृष्ण जी के महिमा और उनकी कथाओं को विस्तृत रूप में व्याख्यान किया गया है।भगवान श्री हरि विष्णु के कृष्ण अवतार का वर्णन तो वैसे कई ग्रंथों में किया गया है लेकिन ब्रह्मवैवर्त पुराण में भगवान श्री कृष्ण अवतार का वर्णन अन्य ग्रंथों की तुलना में भिन्न है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में भगवान श्री कृष्ण को ही परम ब्रह्म माना गया है जिनकी इच्छा से सृष्टि की रचना हुई है और ब्रह्म श्री हरि विष्णु शिव आदि सभी का अवतार भगवान श्रीकृष्ण से ही हुआ है।

ब्रह्मवैवर्त पुराण कहता है कि इस ब्रह्मांड में अलग-अलग विश्व यानी कि अलग अलग दुनिया है और सभी दुनिया के अपने-अपने ब्रह्मा और विष्णु हैं।

Brahma vaivarta Purana मे क्या लिखा है?

ब्रह्म वैवर्त पुराण के ब्रह्म खंड में श्री कृष्ण जी के चरित्र एवं उनके सभी अलग-अलग लीलाओं का विस्तृत व्याख्यान किया गया है। इस खंड में बताया गया है कि श्री कृष्ण से ही सभी देवताओं का अवतार इस सृष्टि पर हुआ है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के प्राकृतिक खंड में सभी देवी माताओं का अवतार की कथा को विस्तृत रूप में बखान किया गया है और उनके अलग-अलग दिव्य शक्तियों के बारे में भी बताया गया है। इस खंड का प्रारंभ पंच देवी रूपा प्रकृति से होता है। बात करें गणपति खंड की तो इस खंड में गणेश जी की जन्म की कथा और उनके विभिन्न महिमा का वर्णन प्राप्त होता है।

इस गणपति खंड में गणेश जी के चरित्र एवं लीलाओं का वर्णन भी विस्तृत रूप में किया गया है। इसमें आगे यह भी बताया गया है कि गणेश जी की पूजा में हमें कभी भी तुलसी के पत्ता को नहीं दान करना चाहिए। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अंतिम और चौथे खंड में भगवान श्री कृष्ण के जन्म और उनके लीलाओं का विस्तार रूप में वर्णन किया गया है। 101 अध्याय में कृष्ण जन्म खंड का बखान किया गया है और जिस कारण यह सबसे बड़ा खंड भी है।

ब्रह्मवैवर्त पुराण में बहुत सारी ऐसी बातों को बताया गया है जिनको मानना एक स्वस्थ और सुखी जीवन के लिए आवश्यक है। 

ब्रह्म पुराण में बताया गया है कि किसी भी महिला और पुरुष को कोई भी माह के पूर्णमासी के दिन मांस का सेवन नहीं करना चाहिए। ब्रह्मवैवर्त पुराण में इस काम को अशोक और वर्जित बताया गया है। ब्रह्म पुराण में बताया गया है कि सुबह शाम और पूजा पाठ के समय किसी भी महिला और पुरुष को शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए इससे घर में लक्ष्मी का निवास नहीं होता है और घर की सुख संपत्ति में कमी होती है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार कभी भी किसी पुरुषों को किसी पराई स्त्री को बुरी नजर से नहीं देखना चाहिए और ना ही किसी स्त्री को किसी पराए पुरुष को बुरी नजर से देखना चाहिए ऐसा करने से उन्हें पाप की श्रेणी में रखा जाता है। ऐसा करना पुरुषों और महिलाओं को विनाश की ओर ले जाती है और इससे दरिद्रता बढ़ती है।

Conclusion

प्रोफाइल है आज के इस लेख में हमने ब्रह्मवैवर्त पुराण के बारे में बताया। यदि आप ब्रह्मवैवर्त पुराण के बारे में जानना चाहते हैं और इसे पूरा पढ़ना चाहते हैं तो हमारे द्वारा दी गई लिंक के जरिए इसे डाउनलोड करके अब पूरा पढ़ सकते हैं।

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