ब्रह्मांड पुराण हिन्दी | Brahmand Puran PDF Download 

Brahmand Puran PDF Download

Brahmand Puran PDF Download – ब्रह्मांड पुराण हिंदू धर्म के 18 महत्वपूर्ण पुराणों में से एक है। समस्त महा पुराणों में ब्रह्मांड पुराण अंतिम पुराण होते हुए भी अति महत्वपूर्ण है। ब्रह्मांड पुराण को महर्षि वेदव्यास जी के द्वारा लिखा गया था। ब्रह्मांड पुराण में कुल श्लोकों की संख्या 12000 से लेकर 14000 तक है और लगभग 156 अध्याय मौजूद है।

समस्त ब्रह्मांड का सांगोपांग वर्णन होने के कारण ब्रह्मांड पुराण को ब्रह्मांड पुराण का नाम दिया गया है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी ब्रह्मांड पुराण का काफी महत्व है और विद्वानों ने ब्रह्मांड पुराण को वेदों के समान का दर्जा दिया है। छंद शास्त्र के अनुसार भी ब्रह्मांड पुराण की काफी महत्व है। ब्रह्मांड पुराण में वेदर भी शैली का प्रयोग हुआ है जो कालिदास की रचनाओं में भी देखा जाता है। दोस्तों अभी तक आपने समझ पाए होगा कि ब्रह्मांड पुराण क्या है और इसकी महत्व क्यों है यदि आप Brahmand Puran PDF Download को पूरी डाउनलोड करके पढ़ना चाहते हैं तो हमारे द्वारा दी गई लिंक पर क्लिक करके आप इसकी पीडीएफ को डाउनलोड कर सकते है। ब्रह्मांड पुराण की वीडियो को डाउनलोड करने के लिए बने रहिए अंत तक हमारे इस लेख के साथ।

Book Name                Brahmand Puran 
Author                 महर्षि वेदव्यास
Chapter                     156 अध्याय 
Year          लगभग 10000 साल पहले 
Downloads             6537 downloads 

Brahmand Puran PDF 

ब्रह्मांड पुराण को पूर्व, मध्य और उत्तर तीन मुख्य भागों में बांटा गया है। पूर्व भाग में प्रक्रिया और अनुसंघ नामक दो पद्य है , मध्य भाग उपयोग भाग को  पद्य के रूप में प्रस्तुत करता है जबकि उत्तर भाग उपनसहार को पद्य के रूप में प्रस्तुत करता है। ब्रह्मांड पुराण और वायु पुराण में काफी समानताएं हैं जिस कारण वायु पुराण को महान पुराण का दर्जा नहीं दिया गया है जबकि ब्रह्मांड पुराण को महान पुराण का दर्जा दिया गया है।

ब्रह्मांड पुराण के उपदेश ता के रूप में प्रजापति ब्रह्मा को माना जाता है। ब्रह्मांड पुराण को पाप नाशक और सबसे सर्वाधिक पवित्र पुराण माना गया है। यह यस आयु और श्री प्रिधि करने वाला पुराण है इसमें धर्म सदाचार नीति पूजा ज्ञान और उपासना और ज्ञान विज्ञान की महत्वपूर्ण जानकारी भी प्राप्त होती है।

Brahmand Puran मे क्या लिखा है?

ब्रह्मांड पुराण के पूर्व भाग में नमस्योपाख्या , देव ऋषि की सृष्टि कल्प, मन्वंतर तथा कृति योग्य आदि का वर्णन प्राप्त होता है। इस भाग में समुद्र मंथन विष्णु द्वारा अलग-अलग विधि का भी वर्णन प्राप्त होता है। इस भाग में आकाशीय पिंडो का भी संक्षिप्त में वर्णन किया गया है। ब्रह्मांड पुराण में सृष्टि की रचना एवं उसके पालनहार के बारे में बताया गया है।

ब्रह्मांड पुराण के मध्य भाग में श्राद्ध एवं पिंडदान संबंधित विषयों का विस्तारपूर्वक वर्णन प्राप्त होता है। इस भाग में भगवान परशुराम के विस्तृत कथा राजा सागर की वंश परंपरा, भागीरथ द्वारा गंगा की उपासना ,शिव की उपासना, मां गंगा को धरती तक लाने का वर्णन एवं सूर्य एवं चंद्र वंश के राजाओं का भी वर्णन प्राप्त होता है।

दोस्तों ब्रह्मांड पुराण के उत्तर भाग में भावी मन मंत्रों का विवेचन, त्रिपुर सुंदरी के ललितो आख्यान का वर्णन प्राप्त होता है। ब्रह्मांड पुराण का उत्तर भाग आज के दिन भी काफी महत्व रखता है जिससे कारण विद्वानों ने इसे वेद के समान माना है।

दोस्तों इस पुराण के शुरुआत में बताया गया है कि गुरु अपना भावी ज्ञान सर्वप्रथम अपने सबसे ज्येष्ठ और योग्य शिष्य को देता है यथा ब्रह्मा ने अपना शब्द ज्ञान सबसे पहले वशिष्ठ को दिया था। पुराणों के विदित पांचों लक्षण ब्रह्मांड पुराण में उपलब्ध है। कहा जाता है कि इस पुराण का प्रतिपाद्य विषय प्राचीन भारतीय ऋषि जावा द्वीप लेकर गए थे जो कि वर्तमान में इंडोनेशिया में है । इस पुरान का अनुवाद वहां से प्राचीन कवि भाषा में किया गया था। ब्रह्मांड पुराण में भारतवर्ष का वर्णन करते हुए पुराण कार भारतवर्ष को कर्मभूमि कहकर संबोधित करता है। यह कर्मभूमि भागीरथी गंगा के उद्गम स्थल से लेकर कन्याकुमारी तक फैली हुई है जिसका विस्तार नो हजार योजन का बताया गया है। इसके पूर्व में किरात जाती और पश्चिम में ग्लेज यमुना का वास है।

ब्रह्मांड पुराण में बताया गया है कि भारतवर्ष हमेशा से आर्यों की कृषि भूमि रही है। इसके अलावा ब्रह्मांड पुराण में चारों युगों का वर्णन भी प्राप्त होता है। ब्रह्मांड पुराण में भगवान परशुराम जी की अवतार की कथा भी विस्तार रूप में दी गई है। राजवंशों का विवरण अप्रत्यक्ष रूप से ब्रह्मांड पुराण में किया गया है राजाओं के गुणों एवं अवगुणों को निष्पक्ष रुप से प्रस्तुत किया गया है। विश्वामित्र और वशिष्ठ के उपाख्यान का वर्णन भी संक्षिप्त रूप में दिया गया है। ब्रह्मांड पुराण में चोरी करना को बहुत ही पाप बताया गया है और कहा गया है कि ब्राह्मणों एवं देवी-देवताओं के आभूषणों को चोरी करने वाले व्यक्ति को तत्काल में सजा मिलती है। ब्रह्मांड पुराण में यह भी बताया गया है कि चोरी करने वाले इंसान को तत्काल उसी वक्त मृत्यु मिल सकती है।

Conclusion 

दोस्तों आज के इस लेख के माध्यम से हमने आपको बताया कि ब्रह्मांड पुराण क्या है और ब्रह्मांड पुराण क्यों महत्वपूर्ण है। हमे उम्मीद है कि हमारा यह लेख आपके काम आया होगा और हमारे द्वारा दी गई पीडीएफ को डाउनलोड करके अब ब्रह्मांड पुराण को पढ़ सकेंगे।

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धन्यवाद

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