Kurma Puran PDF Download – कूर्म पुराण सनातन धर्म के 18 महत्वपूर्ण महान पुराणों में से एक है। पुराण साहित्य में गिनती की दृष्टि से कूर्म पुराण को 15 वा स्थान दिया गया है। कूर्म पुराण की कथा को भगवान विष्णु ने समय कथित किया था। कूर्म पुराण को महर्षि वेदव्यास जी के द्वारा संस्कृत भाषा में लिखा गया था। कुर्मी पुराण में श्लोकों की संख्या 6000 है जबकि कुर्मी पुराण में कुल 95 अध्याय हैं।
कुर्म पुराण की कथा पापों का नाश करती है इसमें परमात्मा ब्रह्म का यथार्थ रूप में कीर्तन किया गया है। कूर्म पुराण तीर्थों में परम तीर्थ ,तपो में परम तप , ज्ञानों में परम ज्ञान और व्रतों में परम व्रत है। ऐसा कहा गया है कि इस पुराण की कथा को स्वयं भगवान विष्णु ने कूर्म अवतार धारण कर के सुनाया था। दोस्तों वैसे तो भगवान विष्णु के कई अवतार हुए हैं लेकिन कूर्म अवतार भगवान विष्णु के सबसे वशिष्ठ अवतारों में से एक है और इसी अवतार धारण करके भगवान विष्णु ने कूर्म पुराण की कथा को समुद्र मंथन में इंद्र देव जी को सुनाया था। कूर्म अवतार में ही माता लक्ष्मी के उत्पन्न का वर्णन है। दोस्तों यदि आप भी Kurma Puran PDF Download की कथा को पूरी पढ़ना चाहते हैं तो हमारे द्वारा दी गई पीडीएफ को डाउनलोड करके आप कुर्मी पुराण की कथा को पूरा पढ़ सकते हैं। तो दोस्तों बने रहिए अंत तक हमारे इस लेख के साथ।
Book Name | Kurma Puran |
Author | वेदव्यास |
Chapter | 95 |
Shloks | लगभग 6000 |
Downloads | 6537 downloads |
Kurma Puran PDF in Hindi
कूर्म पुराण की कथा को स्वयं भगवान विष्णु ने अपने मुख से कहा है। कूर्म पुराण की कथा को ध्यान से श्रवण करने की मात्र से ही मनुष्य के सभी पापों का नष्ट हो जाता है और इंसान ब्रह्म लोक को जाता है। वैशाख के महीने में कुर्मी पुराण की कथा का विशेष महत्व है जो मनुष्य वैशाख के महीने में इस कथा का श्रवण करता है वह इस लोक में सभी सुखों को भोग करें स्वर्ग में प्रचुर मात्रा में दिव्य सुखों को भोगता है। ऐसा भी माना जाता है कि जो कूर्म पुराण की कथा को पवित्र मन से श्रवण करता है उसे इस लोक में फिर से ब्राह्मण वंश में जन्म मिलता है। वैसे तो कूर्म पुराण की कथा को करवाने के लिए श्रावण मास आश्विन की महीना को शुभ माना गया है लेकिन इस पुराण में बताया गया है कि आप जब गुरु पुराण की कथा प्रारंभ करते हैं वही दिन शुभ हो जाता है। कूर्म पुराण की कथा को कराने के लिए स्थान कब पवित्र होना आवश्यक है।
कूर्म अवतार भगवान श्री विष्णु जी का दूसरा अवतार है। भगवान विष्णु के कूर्म अवतार लेने की वजह यह थी कि वे समझाना चाहते थे कि अच्छाई के बिना बुराई नहीं हो सकती और बुराई के बिना अच्छाई नहीं हो सकती है। हमारे मस्तिष्क में अच्छे और बुरे दोनों तरह के विचार आते हैं इसलिए यह हम पर निर्भर करता है कि हम बुराई को भी अच्छाई के लिए कैसे उसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
कूर्म पुराण में क्या लिखा है
कूर्म पुराण में भगवान के दिव्य लीलाओं का अद्भुत वर्णन प्राप्त होता है। वामन अवतार ,यदुवंश वर्णन, भगवान श्री कृष्ण की पुत्र प्राप्ति हेतु शिव तपस्या का वर्णन, शिवलिंग महात्म्य का वर्णन प्राप्त होता है। वही इसके अलावा ब्रह्मा जी की आयु का वर्णन कालगणना और मन्वंतर संकल्प का वर्णन भी बहुत विस्तार से किया गया है।
कूर्म अवतार भगवान श्री विष्णु जी का दूसरा अवतार माना जाता है। यह अवतार उन्होंने देवताओं दानवो के द्वारा समुद्र मंथन के समय मंदार पर्वत का भार अपनी पीठ पर उठाने के उद्देश्य से लिया था। माना जाता है कि इसी समुद्र मंथन से 14 बहुमूल्य रत्नों की प्राप्ति हुई थी जिससे विश्व का कल्याण हुआ था। समुद्र मंथन में 14 बहुमूल्य रत्नों में से एक माता लक्ष्मी भी थी।
दोस्तों कुर्मी पुराण में बताया गया है कि भगवान विष्णु के कुरमा अवतार लेने की कई सारी वजह थी इसमें सबसे पहली वजह थी कि माता लक्ष्मी को प्राप्त करना। विष्णु पुराण के अनुसार भगवान श्री विष्णु का कूर्म अवतार लेने का मुख्य वजह माता लक्ष्मी को पुनः प्राप्त करना था। सृष्टि में प्रलय आने के बाद भगवान श्री विष्णु का काम बहुत बढ़ गया था और जब वे सृष्टि के उद्धार में व्यस्त थे तो माता लक्ष्मी उनसे क्रुद्ध होकर सागर की गहराइयों में विलीन हो गई थी।
ऐसा कहा गया है कि कूर्म पुराण की कथा को पवित्र रूप से कराने से मनुष्य की सभी पापों का नष्ट हो जाता है एवं मरने के बाद वह ब्रह्मलोक को प्राप्त हो जाता है।
Conclusion
दोस्तों आज की इस लेख में हमने आपको बताया कि कूर्म पुराने क्या है । यदि आप कूर्म पुराने की पीडीएफ को डाउनलोड करना चाहते हैं तो हमारे द्वारा दी गई लिंक के जरिए आप इसकी पीडीएफ को डाउनलोड कर सकते हैं।
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