Ling Puran PDF Download – लिंग पुराण हिंदू धर्म के 18 महत्वपूर्ण पुराणों में से एक है। लिंग पुराण में भगवान शिव की ज्योतिर्लिंग का वर्णन किया गया है एवं भगवान शिव की महिमा का भी विस्तार से वर्णन किया गया। लिंग पुराण को समस्त पुराणों में श्रेष्ठ माना जाता है।महर्षि वेदव्यास ने लिंग पुराण को संस्कृत भाषा में लिखा था। लिंग पुराण में 163 अध्याय हैं जबकि इस में श्लोकों की संख्या लगभग 11 हजार के करीब है।
लिंग पुराण में भूत, भावन परमकृपालु शंकर जी के 12 ज्योतिर्लिंग की उद्भव की परम पावन कथा है। 18 पुराणों की गिनती करते समय नारद पुराण के अनुसार लिंग पुराण 11वा पुराण है। नारद पुराण के अध्याय 106 में लिंग पुराण की विषय सूची दी गई है। यह पुराण धर्म अर्थ काम और मोक्ष चारों पदार्थों को देने वाला पुराण है। लिंग पुराण को ध्यान से पढ़ने पर भक्ति और मुक्ति की प्राप्ति होती है। यदि आप भी ling Puran PDF Download को इसकी पीडीएफ को डाउनलोड कर इसे पूरा पढ़ना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको लिंग पुराण की पीडीएफ उपलब्ध कराएंगे जिससे आप इसे डाउनलोड करके पूरा पढ़ सकेंगे। तो दोस्तों बने रहिए अंत तक हमारे इस लेख के साथ।
Book Name | Ling Puran |
Author | वेदव्यास |
Chapter | 163 |
Shloks | लगभग 11000 श्लोक |
Downloads | 6537 downloads |
Ling Puran PDF in Hindi
भगवान शिव की महिमा का बखान लिंग पुराण में 11000 लोगों और 163 अध्याय में किया गया है। लिंग पुराण के 163 अध्याय को दो भागों में बांटा गया है। शिवजी के समस्त पुराणों में लिंग पुराण को श्रेष्ठ माना गया है। लिंग पुराण में बताया गया है कि ब्रह्मा शिव विष्णु पृथ्वी इंद्रदेव सभी का जन्म या उत्पन्न लिंग के माध्यम से हुआ है।
लिंग शब्द को आधुनिक समाज में बहुत ही भिन्न नजर से देखा जाता है आज हम लिंग शब्द का अर्थ बहुत ही गलत समझ लेते हैं लेकिन इस पुराण बताया गया है की लिंग शब्द का अर्थ प्रतीक या चिन्ह होता है। कनाक मुनि वैसेसिक दर्शन ग्रंथ मैं बताया गया है कि भगवान महेश्वर यानी कि भगवान शिव आदि पुरुष है। यह शिवलिंग उन्हीं शंकर भगवान के 12 ज्योतिर्लिंग का प्रतीक है। इस के उद्भव के विषय में बताया गया है की सृष्टि के कल्याण के लिए ज्योतिर्लिंगों द्वारा समाहित शंकर भगवान ने पूरे भारतवर्ष में 12 ज्योतिर्लिंगों की स्थापना किया था। यह सभी 12 ज्योतिर्लिंग आज पूरे भारतवर्ष में ही नहीं पूरी दुनिया में विख्यात है।
Ling Puran मे क्या लिखा है?
लिंग पुराण में खगोल विद्या पर भी विस्तार से चर्चा किया गया है। इसके अनुसार चंद्रमा नक्षत्र और ग्रह आदि सभी सूर्य से निकले हैं और एक दिन यह सभी सूर्य में ही समाहित हो जाएंगे। सूर्य ही तीनों लोकों का स्वामी है काल रितु और योग उसी से उत्पन्न होते हैं जिओ को जीवन जीने के लिए शक्ति सूर्य से ही प्राप्त होती है।
लिंग पुराण में पांच प्रकार के योग के बारे में बताया गया है। सभी दिव्य शक्तियों को आश्चर्य में डालने वाला है यह दिव्य पुराण बहुत ही विस्तार से वर्णन करता है कि भगवान शिव और उनका लिंग जो प्रतीक है उनका चिन्ह है यह कितना ही दिव्य और अद्भुत है। इस पुराण को शिव ग्रंथ का पूरक माना जाता है यानी कि यदि आप अपने घर पर शिवपुराण की कथा करा रहे हैं तो लिंग पुराण की कथा कराना आवश्यक है तभी आपकी शिव कथा को पूर्ण माना जाता है। इस सृष्टि का जो पालन है उनका उत्पन्न लिंग से ही हुआ है यह बात इस पुराण में बहुत ही विस्तार से बताया गया है और इसका वर्णन किया गया है। लिंग पुराण में बताया गया है कि यदि आपको अपने जीवन में वैराग्य प्राप्त करना है तो आपको लिंग पुराण की कथा अवश्य कराना चाहिए।
इसमें लिंग प्रतिष्ठा पशु पाच का विमोचन विश्वारत सदाचार निरूपण पश्चात एवं श्री शैल का वर्णन प्राप्त होता है ,शिवजी के हजार नामों का कथन काम दहन पार्वती जी की विवाह गणेश भगवान की कथा शिव तांडव नृत्य का वर्णन उपमन्यु की कथा आदि का वर्णन बहुत ही विस्तार रूप से किया गया है। इसके अलावा सूर्य पूजा की विधि मोक्ष देने वाले शिव पूजा का वर्णन दान के भिन्न प्रकार श्राद्ध शिवजी के विभिन्न प्रतिमाओं का वर्णन भगवान शंकर के प्रतिष्ठा का वर्णन भी बहुत ही विस्तार में किया गया है। लिंग पुराण में बताया गया है कि इस पुराण का श्रवण यदि कोई मनुष्य फागुन मास की पूर्णमासी को करता है तो उसे शिव लोक की प्राप्ति होती है।
Conclusion
आज के इस लेख के माध्यम से हमने आपको बताया कि लिंग पुराण क्या है और लिंग पुराण का क्या महत्व है। दोस्तों यदि आप लिंग पुराण की पीडीएफ को डाउनलोड करके पूरा पढ़ना चाहते हैं तो हमारे द्वारा दी गई लिंक के जरिए आप लिंग पुराण की पीडीएफ को डाउनलोड कर सकेंगे।
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