Yajur Veda Pdf Download in Hindi

Yajur Ved

Yajur Veda Pdf Download in Hindi – वैसे तो समय के साथ हर कुछ बदला है लेकिन जो कभी नहीं बदला और आज भी उसकी उतनी महत्व है वो है वेदों का ज्ञान। सनातन धर्म में कुल चार वेद है।हिंदू धर्म की बुनियाद इन्ही वेदों की ज्ञान पर ही टिकी बताई जाती है। ऐसा माना जाता है कि वेद स्वयं ईश्वर के द्वारा दिए गए ज्ञान से प्रकट हुआ है। आज के इस लेख में हम हिंदू धर्म के एक महत्वपूर्ण वेद यजुर्वेद के बारे में जानेंगे। यजुर्वेद हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण और श्रुति धर्म ग्रंथ है और यह चारों वेदों में से एक है। यजुस एवं वेद शब्द की संधि से बना है यजुर्वेद। यजुर्वेद को मुख्य रूप से वैदिक संस्कृत भाषा में लिखा गया है।यजुर्वेद में 40 अध्याय और कुल 1975 मंत्र है। यजुर्वेद के समय काल को 1200—800 ईसा पूर्व बताया गया हैं।

यजुर्वेद में यज्ञ का अर्थ है समर्पण और वेद शब्द का अर्थ है ज्ञान यानि कि ज्ञान का समर्पण। हवन को भी समर्पण की क्रिया ही कहते हैं। जैसा कि इस वेद का नाम है वैसे ही इस वेद में हमें यज्ञ हवन करने के सार्थक तौर-तरीकों के बारे में बताया गया है। यजुर्वेद में मुख्य रूप से यज्ञ हवन के बारे में और इनको करने की सही प्रक्रिया के बारे में विस्तार रूप में जानकारी देता है। दोस्तों यदि आप हिंदू धर्म ग्रंथों के बारे में जानने में रुचि रखते हैं और वेदों के बारे में जानना चाहते हैं तो आज का हमारा ये लेख बिल्कुल आपके लिए ही है। आज के इस लेख में हम हिंदू धर्म के चारों महत्वपूर्ण वेदों में से एक वेद यजुर्वेद के बारे में जानकारी देंगे। यदि आप भी Yajur veda PDF Download के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे द्वारा दी गई लिंक के जरिए आप इसके पीडीएफ डाउनलोड करके इसे पूरा पढ़ सकेंगे। तो बने रहे दोस्तों अंत तक हमारे इस लेख के साथ।

Book Name     Yajur Veda 
Time period        1200–800 BC
Chapter        40
Verses               लगभग 1975
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Yajur veda PDF in Hindi

यजुर्वेद की कुल 2 शाखाएं हैं जो इस प्रकार है शुक्ला यजुर्वेद और कृष्ण यजुर्वेद। शुक्ल यजुर्वेद में केवल शुक्ल मंत्रों का वर्णन किया गया है जबकि इसकी दूसरी शाखा कृष्ण यजुर्वेद में मंदिरों के साथ-साथ विनियोग और मंत्रों की अलग से व्याख्या होने के कारण इसे कृष्ण यजुर्वेद का नाम दिया गया है। वर्तमान में शुक्ल यजुर्वेद की भी दो शाखाएं हैं। कुछ विद्वान शुक्ल यजुर्वेद की कानो मध्यदिन जाबाल बुधिय साकिन ऐसे कुल 15 अध्याय बताते हैं। यजुर्वेद के कुल 40 अध्याय में लगभग 1975 मंत्रों का वर्णन प्राप्त होता है। यजुर्वेद के अधिकांश मंत्रों को ऋग्वेद से लिया गया है। चारों वेदों में गिनती की श्रंखला में यजुर्वेद का दूसरा स्थान माना गया है। मान्यता के अनुसार यजुर्वेद में ऋग्वेद और अथर्ववेद के बहुत सारे मंत्र मिलते हैं लेकिन फिर भी यजुर्वेद को ऋग्वेद से अलग ग्रंथ माना जाता है और इसकी अपनी अलग महत्व है। इसमें ऋग्वेद के 663 मंत्र पाए जाते हैं।

Yajur ved मे क्या लिखा है

यजुर्वेद में मुख्य रूप से यज्ञ हवन से संबंधित ज्ञान और इनको करने की सही नियम बताए गए हैं। इसी कारण यजुर्वेद को कर्मकांड प्रधान ग्रंथ के रूप में भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं में भी अश्वमेध राज सूर्य आदि अनेक यज्ञ को कराने की सही विधि के बारे में बताया गया है। इन सभी से जुड़े तिथि और समय के बारे में विस्तृत जानकारी यजुर्वेद में प्राप्त होता है।

कुछ पौराणिक कथाओं और ग्रंथों में यह भी कहा गया है कि वितरित आयोग में सिर्फ एक ही वेद था यजुर्वेद इसलिए उस समय किसी भी कार्य को संपन्न करने के लिए यह पूजा पद्धति के नियमों को जानने के लिए यजुर्वेद ही एक जरिया था और उस समय के लोग यजुर्वेद को ही मानते थे। इसी कारण उस समय पर किसी भी कार्य के लिए जैसे कि पुत्र प्राप्ति में या युद्ध में हर समय पर हवन ही करवाए जाते थे।

यजुर्वेद और सभी वेदों से भिन्न इसलिए है क्योंकि यजुर्वेद के सभी मंत्र गत्यात्मक रूप में है यानी की कथाओं और कहानियों के रूप में है वही बाकी वेदों के मंत्र अध्यात्मा के रूप में है यानी की कविताओं के रूप में है। इसमें कहे गए यज्ञ के आध्यात्मिक मंत्रों को यजुस कहा जाता है और इसी के नाम पर इस ग्रंथ का नाम यजुर्वेद पड़ा है।

यजुर्वेद का अंतिम अध्याय ईशावास्योपनिषद है जिसका संबंध आध्यात्मिक चिंतन से है। उपनिषदों में भी यजुर्वेद को लघु उपनिषद माना जाता है क्योंकि इसे छोड़कर कोई भी उपनिषद संहिता का भाग नहीं है। यजुर्वेद की संहिता है अंतिम रची सहित आए थे इसके बाद किसी भी सहिंताओ की रचना नहीं की गई है। इसके अलावा यजुर्वेद में आर्यों के सामाजिक एवं आर्थिक जीवन पर भी प्रकाश दिया गया है। उनके समय की वर्ण व्यवस्था और वर्णाश्रम की झांकी का वर्णन भी इसमें प्राप्त होता है। यजुर्वेद संहिता में वैदिक काल के धर्म के कर्मकांड हेतु यज्ञ के करने की विधि को भी बताया गया है।

Conclusion

आज के इस लेख के माध्यम से हमने आपको यजुर्वेद के बारे में जानकारी दिया। यदि आप यजुर्वेद के बारे में जानने में रुचि रखते हैं और इसे पूरा पढ़ना चाहते हैं तो हमारे द्वारा दी गई लिंक के जरिए आप इसकी पीडीएफ को डाउनलोड करके इसे पूरा पढ़ सकेंगे।

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