Annapurna Vrat Katha In Hindi PDF Download

Annapurna Vrat Katha In Hindi PDF Download

Annapurna Vrat Katha In Hindi PDF Download – माता अन्नपूर्णा देवी को धन और अन्न की देवी कहा जाता है। माता अन्नपूर्णा देवी का व्रत करने से हमें सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है और हमारे घर में कभी भी ध्यान और अन्न की कमी नहीं होती है। माता अन्नपूर्णा देवी का व्रत खासतौर पर अगहन के महीने में किया जाता है।

हिंदू धर्म के अनुसार अगहन महिना पूरी तरह से भगवान कृष्ण को समर्पित होता है इसलिए कहा जाता है कि इस महीने में जब भी हम अपने घर में कोई नई पकवान या कुछ बनाएं तो सबसे पहले भगवान श्री कृष्ण को समर्पित करना चाहिए। अगहन के इसी पावन महीने पर माता अन्नपूर्णा देवी की भी व्रत किया जाता है। लोग अपनी अपनी सामर्थ्य के अनुसार माता अन्नपूर्णा देवी जी की व्रत रखते हैं कोई 21 दिनों का व्रत रखता है तो कोई 16 दिनों का। दोस्तों यदि आप भी अन्नपूर्णा व्रत कथा के बारे में जानना चाहते हैं और जानना चाहते हैं कि अन्नपूर्णा माता की आराधना कैसे करें तो आज का हमारा यह लेख आपके लिए ही है। आज के इस लेख के माध्यम से हम अन्नपूर्णा व्रत कथा के बारे में विस्तार से जानेंगे। दोस्तों बने रहिए अंत तक हमारे इस लेख के साथ।

Annapurna Vrat Katha In Hindi PDF Download

अगहन के पावन महीने पर माता अन्नपूर्णा देवी का व्रत रखा जाता है। लोग अपनी सामर्थ्य के अनुसार कोई 21 दिनों का तो कोई 16 दिनों का माता अन्नपूर्णा का व्रत रखते हैं। हिन्दू धर्म में अगहन महीने के अंतिम दिन पूर्णिमा को अन्नपूर्णा जयंती भी मनाया जाता है जिस दिन सभी हिंदू माता अन्नपूर्णा की कथा अपने घर में करते हैं और माता अन्नपूर्णा की आराधना करते हैं। हिंदू धर्म में मान्यता है कि माता अन्नपूर्णा देवी की पूजा जिस घर में होती है उस घर में कभी भी धन और अन्न की कमी नहीं होती है। अन्न के बिना इस संसार में किसी भी प्राणी का जीवन संभव नहीं है।

दोस्तों हम सभी जानते हैं कि अन्नपूर्णा देवी को धन और अन्न की देवी कहा जाता है लेकिन इसके पीछे की कहानी हम में से बहुत लोगों को नहीं पता है। आइए इसके पीछे की कहानी जानते हैं कि क्यों अन्नपूर्णा देवी को अन और धन की देवी कहा जाता है।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस धरती पर एक बार अन्य की बहुत कमी हो गई थी। धरती लोक पर अन्य की कमी को पूरा करने के लिए भगवान शिव ने एक भिक्षुक का रूप धारण किया था। माता पार्वती अन्य की देवी अर्थात अन्नपूर्णा माता के रूप में इस धरती पर प्रकट लिया। इसी कारण अगहन मास के अंतिम दिन पूर्णिमा के दिन अन्नपूर्णा जयंती मनाया जाता है और माता अन्नपूर्णा देवी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त किया जाता है। माना जाता है कि जिस घर में लोग अन्न की महत्व को समझते हैं और अन्न की बर्बादी नहीं करते हैं उस घर में सदा माता अन्नपूर्णा देवी का वास होता है और माता अन्नपूर्णा देवी के आशीर्वाद से उस घर में कभी भी धन और अन्न की कमी नहीं होती है।

Annapurna Vrat ki vidhi

दोस्तों चलिए अब जान लेते हैं कि अन्नपूर्णा व्रत की विधि क्या होती है अर्थात अन्नपूर्णा व्रत में हमें किन किन चीजों की जरूरत होती है।

अन्नपूर्णा माता का निवास स्थान घर की रसोई को माना जाता है इसलिए अगहन के पूरे महीने में आपका रसोई का घर साफ सुथरा होना चाहिए। अन्नपूर्णा माता की आराधना आप सुबह में सूर्योदय से पहले भी कर सकते हैं यदि आप किसी कारणवश सुबह में पूजा नहीं कर पाते हैं तो आप शाम को सूर्यास्त के बाद स्नान करने के बाद माता अन्नपूर्णा की पूजा कर सकते हैं। जो लोग 21 या 16 दिनों का व्रत रखते हैं उन्हें माता अन्नपूर्णा की तस्वीर को अपने रसोई के घर में लगाना चाहिए उसके बाद उन्हें कोई भी नया उगा हुआ अनाज माता अन्नपूर्णा को भेंट में चढ़ाना चाहिए। इसके साथ-साथ आप सात प्रकार का भोजन भी मेट में चढ़ा सकते हैं और दूध से बना हुआ खीर भी आप भेंट में चढ़ा सकते हैं। हमें नमक से बना हुआ कोई भी भोजन भोग नहीं लगाना चाहिए बल्कि इसके जगह पर मीठा भोजन का भोग लगाना चाहिए। अपने जितने दिनों का व्रत रखा है आपको उतने ही धागों का गाना लगाना चाहिए और माता अन्नपूर्णा को भेंट में चढ़ाना चाहिए। धूप दीपक अगरबत्ती लाल फूल और प्रसाद के रूप में कुछ भी आप पूजा करने से पहले माता अन्नपूर्णा की चरणों में भेंट के रूप में जरुर चढ़ाएं। कहा जाता है कि जब भगवान शिव ने धरती लोक पर अन्न की कमी को देखकर एक भिक्षुक का रूप लिया था तो माता पार्वती ने अन्नपूर्णा देवी के रूप लेकर भगवान शिव को कल्चुल से उन्हें भोजन दिया था इसलिए अन्नपूर्णा देवी की पूजा में एक कल्चुल का प्रयोग अवश्य करें।

Conclusion

आज के इस लेख में हमने आपको बताया कि अन्नपूर्णा व्रत कैसे करें और हम अन्नपूर्णा जयंती क्यों मनाते हैं। यदि आप अन्नपूर्णा व्रत कथा के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो इस लेख में हमारे द्वारा दी गई लिंक के जरिए अब इसके पीडीएफ डाउनलोड करके से पूरा पढ़ सकेंगे।

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